75 वर्षीय हृदय रोगी वृद्धा को मिला नया जीवनदान
--ब्लूटुथ समर्थित डिवाइस होने के कारण कार्डियोलॉजिस्ट अपनी क्लीनिक पर ही जान सकता है मरीज के दिल के हाल
--ब्लड पम्पिंग केवल 20 प्रतिशत होने से फेफड़ों समेत शरीर के अन्य अंगों को नहीं मिल पा रहा था पर्याप्त रक्त
--सांस लेने में परेशानी के कारण रोगी महिला को कई बार आईसीयू की शरण लेनी पड़ी
जयपुर। एक तरफ कोविड-19 का खौफ दूसरी तरफ उम्र का तकाजा, झुझुनू निवासी 75 वर्षीय एक महिला को सांस लेने में दिक्कत रहती थी। कई अस्पतालों के आईसीयू में भर्ती रहने के बावजूद उसके इस रोग का समानधान नहीं हो पाया। थक हार कर उसने अपने ही शहर के जयपुर हार्ट एण्ड मल्टीकेयर में चिकित्सकों से सम्पर्क किया। जहां हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकेश यादव ने महिला की गहनता पूर्वक चिकित्कीय जांच के साथ ही कार्डियोग्राफी भी की। इन जांचों के बारे में डॉ. मुकेश यादव ने मीडिया को बताया कि कार्डियोग्राफी करने पर पाया गया कि महिला के हार्ट की सभी आर्टरीज सही तरीके से काम कर रही थी लेकिन पूरे शरीर का रक्त प्रवाहित करने वाला हार्ट पम्प केवल 20 प्रतिशत ही काम कर रहा था, जिसके चलते समुचित रक्त प्रवाह नहीं मिल पाने के कारण महिला कों सांस लेने में परेशानी हो रही थी। उन्होंने बताया कार्डि एक रीनसिंक्रनाइजेशन डिफिब्रिलेटर । आंतरिक डिफाइब्रिलेटर्स उन रोगियों के लिए प्रत्यारोपण योग्य डिवाइस हैं, जिन्हें जीवन के लिए खतरा बनने वाली हार्ट रिद्मिक समस्याओं का खतरा है। यह छोटा सा डिवाइस पेसमेकर की तरह पीडि़त रोगी के दिल के उपरी हिस्से की तरफ प्रत्यारोपित कर दिया जाता है जिससे ब्लड पम्पिंग और तेज हो सके और मरीज को श्वसन सम्बन्धित परेशानी के साथ ही थकावट जैसा महसूस न हो सके और वह अपने प्रतिदिन के कार्य आसानी से कर सके। डिवाइस रोगी के चिकित्सक को वायरलेस तरीके से संचार करता है और मरीजों को स्मार्टफोन पर ऐप का उपयोग करके डिवाइस के बारे में जानकारी प्राप्त करने की अनुमति देता है। जल्द ही दूरस्थ निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने और रोगी परिणामों के अनुकूलन के लिए डेटा 20 गुणा दिया जाता है और किसी प्रकार का व्यवधान पाए जाने पर चिकित्स उसके अनुसार ही मरीज की दवा या अन्य जानकारी दे सकता है। यह कार्डियक सर्जरी अस्पताल की अत्याधुनिक कैथ लैब में गत 6 नवम्बर, 2020 को सम्पादित की गई। अब उक्त रोगी महिला अपने नित्य के कार्य कुशलता के साथ कर रही है।
क्या होता है हार्ट फेल्योर हार्ट फेल्योर
जिसे कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर के रूप में भी जाना जाता है, तब होता है जब दिल की मांसपेशियां रक्त पम्प करने में असफल हो जाती हैं और साथ ही साथ कुछ स्थितियां, जैसे संकुचित धमनियां, उच्च रक्तचाप आदि, हृदय को कठोर या बहुत कमजोर कर देते हैं ताकि दक्षता के साथ रक्त को ठीक से पम्प किया जा सके। कुछ निश्चित आदतें और जीवनशैली में बदलाव होते हैं जैसे कि नियमित व्यायाम, अपने आहार में नमक का सेवन नियंत्रित करना, वजन कम करना, या तनाव पर काबू करना जो वास्तव में जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करते हैं।