सीआईआई की साझेदारी में मेडीबडी की रिपोर्ट जारी, कॉर्पोरेट इंडिया में कर्मचारी कल्याण कार्यक्रमों में आ रहे बदलावों पर डाला गया प्रकाश
राष्ट्रीय, 19 जुलाई 2024 – भारत के सबसे बड़े डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफ़ॉर्म मेडीबडी और सीआईआई ने आज एक साझा रिपोर्ट लॉन्च की, जिसमें डिजिटल हेल्थकेयर अपनाने और कॉर्पोरेट वेलनेस की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम पर प्रकाश डाला गया। “भारत के कॉर्पोरेट स्वास्थ्य और कल्याण परिदृश्य का मानचित्रण” शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में बताया गया है कि बड़ी संख्या में नौकरी चाहने वाले कर्मचारी कल्याण कार्यक्रमों को अपनी निर्णय लेने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण मानते हैं। यह डिजिटल स्वास्थ्य अपनाने में उल्लेखनीय उछाल और व्यक्तिगत कल्याण समाधानों की बढ़ती मांग को रेखांकित करता है, जो इस बात की बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है कि कर्मचारी कल्याण कॉर्पोरेट प्रदर्शन को कैसे प्रभावित करता है। यह बदलाव पूरे भारत में कॉर्पोरेट स्वास्थ्य रणनीतियों में एक परिवर्तनकारी विकास का संकेत देता है।
भारत का डिजिटल हेल्थकेयर क्षेत्र तकनीकी नवाचारों, एक वाइब्रैंट स्टार्टअप इकोसिस्टम और सक्रिय सरकारी पहलों द्वारा संचालित अभूतपूर्व वृद्धि का अनुभव कर रहा है। महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, इन कारकों ने देश भर में डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को अपनाने में काफी तेजी लाई है। AI, डेटा एनालिटिक्स और 5G सहित प्रमुख तकनीकी प्रगति भारत में स्वास्थ्य सेवा की डिलीवरी में क्रांति ला रही है, जिससे व्यक्तिगत देखभाल को सक्षम बनाया जाना संभव हो गया है। आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM), एक प्रमुख सरकारी पहल है, जिसका उद्देश्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करते हुए दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है।
रिपोर्ट में कुछ आकर्षक आंकड़े दिए गए हैं:
1. अलार्मिंग बर्नआउट रेट्स: 62% भारतीय कर्मचारी बर्नआउट का अनुभव करते हैं, जो वैश्विक औसत 20% से तीन गुना है। कार्य-संबंधी तनाव, दूरस्थ कार्य चुनौतियां और खराब कार्य-जीवन संतुलन प्राथमिक योगदान कारक हैं।
2. स्वास्थ्य सेवा का वित्तीय बोझ: 71% कर्मचारी अपनी वार्षिक आय का औसतन 5% आउट-ऑफ-पॉकेट स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करते हैं। यह नियोक्ता द्वारा प्रदान किए जाने वाले अधिक व्यापक स्वास्थ्य सेवा विकल्पों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
3. मौजूदा वेलनेस ऑफ़रिंग से असंतोष: केवल 24% कर्मचारी अपने वर्तमान कार्यस्थल स्वास्थ्य विकल्पों से संतुष्ट महसूस करते हैं। यह कर्मचारियों की ज़रूरतों और मौजूदा कॉर्पोरेट वेलनेस कार्यक्रमों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर को दर्शाता है।
4. वेलनेस पहल उत्पादकता पर होनेवाला प्रभाव: व्यापक वेलनेस कार्यक्रम लागू करने वाली कंपनियों ने कर्मचारी उत्पादकता में 22% की वृद्धि होने की बात रिपोर्ट की है। वेलनेस प्रोग्राम वाले संगठनों में स्वास्थ्य सेवा दावों के आधार पर प्रति कर्मचारी चिकित्सा लागत में 14% की कमी देखी गई है।
5. कर्मचारियों की प्राथमिकताओं पर जोर: 72% नौकरी चाहने वाले कर्मचारी वेलनेस कार्यक्रमों को अपनी निर्णय लेने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण मानते हैं। व्यक्तिगत स्तर पर सवधानी बरतने की रणनीतियों और सुविधाजनक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच को लेकर जागरूकता बढ़ रही है।
6. पसंदीदा आश्रितों के लिए ओपीडी लाभों के विस्तार को प्राथमिकता: आज, अधिकतर कंपनियां केवल आईपीडी बीमा से परे जाकर, परामर्श, दवाएं, लैब परीक्षण और मानसिक स्वास्थ्य परामर्श जैसे लाभ प्रदान कर रही हैं, जो महामारी से पहले के दिनों की तुलना में अधिक है। कल्याणकारी लाभों को आश्रितों, जैसे माता-पिता, बच्चे, साथी (समान-लिंग साथी सहित), और यहां तक कि भाई-बहनों तक विस्तारित किया जा रहा है। कल्याणकारी कार्यक्रमों में विकल्प प्रदान करने से शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित होती हैं, जो उन्हें खुश रखता है, और यह सब महंगे बीमा पर अधिक खर्च किए बिना ही संभव हो सकता है।
मेडीबडी के सह-संस्थापक और सीईओ सतीश कन्नन ने कहा, “हम भारतीय स्वास्थ्य सेवा में, विशेष रूप से कॉर्पोरेट सेक्टर में, एक महत्वपूर्ण बदलाव देख रहे हैं। कर्मचारी कल्याण एक परिधीय चिंता से जूझता हुआ आज एक मुख्य व्यावसायिक रणनीति में विकसित हो चुका है, जो प्रौद्योगिकी प्रगति और संगठनात्मक सफलता पर इसके प्रभाव की बढ़ती मान्यता द्वारा संचालित हो रहा है। कर्मचारी कल्याण का परिदृश्य भी तेजी से बदल रहा है, पारंपरिक कल्याण पहल, हालांकि मूल्यवान हैं, लेकिन अब पर्याप्त नहीं हैं। यह रिपोर्ट भारतीय कॉर्परेट सेक्टर्स के लिए कर्मचारी स्वास्थ्य और कल्याणकारी दृष्टिकोण को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर को रेखांकित करती है। यह रिपोर्ट उस परिवर्तन के लिए एक रोडमैप के रूप में कार्य करती है, यह एक नई अंतर्दृष्टि प्रदान करती है, जो भविष्य में भारत के कॉर्पोरेट कल्याण को आकार दे सकती है।”
रिपोर्ट से कुछ पहलू:
यह रिपोर्ट कर्मचारी जनसांख्यिकी और पर्सनलाइज्ड प्रिवेंशन स्ट्रेटेजी के आधार पर अनुकूलित कल्याणकारी कार्यक्रमों के महत्व पर जोर देती है। कर्मचारी ऐसे कल्याणकारी कार्यक्रम चाहते हैं, जो उनके प्रियजनों के साथ ही उनके आश्रितों को भी लाभ पहुंचा सके, जिसमें टेलीकंसल्टेशन जैसे सुविधाजनक स्वास्थ्य सेवाओं का विकल्प भी उपलब्ध हो। आज, महामारी से पहले के दिनों की तुलना में अधिक फर्म्स ऐसे लाभ प्रदान कर रही हैं, जो केवल IPD बीमा से परे हैं, जैसे परामर्श, दवाएं, लैब टेस्ट और मानसिक स्वास्थ्य परामर्श।
कर्मचारी ऐसे अनुकूलनीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों को भी पसंद करते हैं, जो लचीले कार्य विकल्पों को समायोजित करते हैं, जैसे वर्चुअल फिटनेस क्लास और मानसिक स्वास्थ्य ऐप। बेनिफिट्स और डेटा सुरक्षा के बारे में स्पष्ट जानकारी भी महत्वपूर्ण है। नियमित सर्वेक्षण स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को संबोधित करने के साथ ही गंभीर मामलों में आकलन करने की सुविधा भी चाहते हैं। भारत में कॉर्पोरेट वर्कफोर्स की विविध आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तकनीक-संचालित वेलनेस प्लेटफ़ॉर्म उभर रहे हैं, जो पुरानी बीमारियों की रोकथाम करने, समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, उत्पादकता और कार्य संतुष्टि में सुधार लाने के लिए नियमित जांच और स्वस्थ आदतों के साथ निवारक स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता दे रहे हैं।